बात ये है कि

Thursday, March 22, 2012

मासिकधर्म के लिए माफ़ कर दो भगवान !!!

आज से खरी खोटी कहना शुरू...

बहुत दिनों तक सोचा की चुप रहो सब ठीक ही हो जायेगा पर नहीं..बिना बोले कहे कुछ बदलने वाला नहीं .हम औरतें क्यूँ खुद के लिए एक ऐसे समाज को तैयार कर लेतीं हैं जो हमें ही नष्ट करना चाहता है...धर्म, शास्त्र के पीछे भागते भागते ये भी नहीं देखते कि इसने तो हमको कभी इंसान रहने ही नहीं दिया..अपने ही शरीर से,घृणा करना सिखाया ...

मासिक धर्म एक नियमित शारीरिक कर्म है..लेकिन औरतों ने इसको जाने कौन सा हव्वा बना दिया. कुछ छुओ नहीं .पवित्रता से जुड़े सभी काम हमारे लिए अस्पृश्य है ...आपको पता है बहुत सी औरते एक उपवास रखती है "ऋषि पंचमी" का.. इसको इसलिए रखा जाता है कि मासिक-धर्म में हम अगर मजबूरन किसी पवित्र काम चूल्हा-चौका,पति से सम्भोग कर बैठें तो उसकी भगवान से माफ़ी मांग लें....

क्यूँ ..कब तक...और कितने प्रमाण चाहिए ये साबित करने के लिए कि यह तो शारीरिक संरचना का ही एक हिस्सा है इसके होने न होने में ये छुआछूत क्यूँ हो.....क्या हम अपनी बेटियों को भी ये नारकीय जीवन और विचार भोगने देंगे......

नहीं ...बिल्कुल नहीं .

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